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मिश्रा कविराय की कुण्डलिया




मिश्रा कविराय की कुण्डलिया


धारण करना धर्म को, है अति पावन कर्म।

सत्कर्मों को जानिये, असली मानव धर्म। 

असली मानव धर्म, सिखाता मानव बनना ।

मन को करता शुद्ध, बताता जग में रहना।।

कह मिश्रा कविराय, बनो नित सुख का कारण।

सेवाकर्मी भाव, करो मन में नित धारण।।



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1 Comments

Sachin dev

15-Dec-2022 05:36 PM

बहुत ही सुन्दर

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